Bhasha Kise Kahate Hain (भाषा किसे कहते हैं) : फ्रेन्ड्स! आज हम bhasha के बारे में सर्चा करेंगे और साथ ही यह भी जानेंगे कि bhasha ke kitne roop hote hain तो इस बारे में संपूर्ण जानकारी के लिए आप इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरूर पढ़े।
भाषा की परिभाषा के बारे में पढ़ें इससे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि अगर आप इसी तरह के अन्य जानकारी पाना चाहते हैं तो इस वेबसाइट को फॉलो करते रहे यहां पर आपको एजुकेशन के साथ साथ इंटरनेट, टेक्नोलॉजी, टिप्स एंड ट्रिक्स, पैसे कैसे कमाए की जानकारी वगैरह इंफॉर्मेशन मिलती रहेगी। तो चलिए अब जानते हैं कि bhasha kya hai (भाषा क्या है)
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यानी भाषा वह माध्यम है जिसके जरिए व्यक्ति अपने भावों या विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करता है तब उस भावों या विचारों को समझने और समजाने के माध्यम को भाषा कहा जाता है। भाषा का प्रयोग मनुष्य ही कर सकता है, अन्य प्राणी इस अमूल्य विशेषता से वंचित है।
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भाषा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना पुराना मानव का इतिहास। भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा हम एक दूसरे से बात कर सकते हैं और अर्थपूर्ण ध्वनियों के मेल से ही भाषा का निर्माण होता है। प्रत्येक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भाषा भिन्न हो सकती है, पर भाषा का एकमात्र मकसद होता है कि इंसानों द्वारा एक-दूसरे के विचारों को समझना और समझाना। हालांकि! इंसान अपने भावों या विचारों को कई माध्यमों से व्यक्त कर सकता है जैसे शारीरिक या वस्तु संकेत, मौखिक ध्वनि या लिखित रूप से जैसे --- ☟
मान लीजिए , अगर आपको एक गिलास पानी की जरूरत है। तो इस भाव, विचार या इच्छा को आप कुछ इस प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं।
आप गिलास या पानी की और इशारा/संकेत कर के मांग सकते हैं।
मौखिक ध्वनि द्वारा आप कह सकते हैं कि कृपया , मुझे एक गिलास पानी चाहिए।
या आप लिख कर बता सकते हैं की कृपया , मुझे एक गिलास पानी चाहिए।
यहां पर पानी मांगने ने के पहले तरीके यानी सांकेतिक माध्यम को सर्वग्राह्य भाषा नहीं कहा जा सकता. हां, मगर दूसरे और तीसरे माध्यम को क्रमशः मौखिक और लिखित भाषा का रूप दे सकते हैं। तो अब आप bhasha ki paribhasha को समझ गए होंगे।
तो इन तीनों भाषाओं के बारे में विस्तृत जानकारी समझते हैं।
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इसमें एक व्यक्ति जो कि अपने मुंह से शब्दों से वाक्य बनाकर अपने भावों, विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाता है। इसमें एक व्यक्ति वक्ता है और दूसरा श्रोता है। सुनने वाले एक से अधिक व्यक्ति भी हो सकते हैं।
भाषा के इस रूप को अधिक स्थायी और सार्थक माना जाता है क्योंकि लिखित भाषा का उपयोग करने के लिए चिह्नों की जरूरत पड़ती है इसीलिए भाषा के व्याकरणिक पहलुओं की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है, जबकि मौखिक भाषा में इतनी गहनता देख ने को नहीं मीलती।
दूसरे शब्दों में कहें तो जिन अक्षरों या चिह्नों की सहायता से हम अपने मन के विचारों को लिखकर व्यक्त करते हैं, वह 'लिखित भाषा' कहलाती है। लिखित भाषा का प्रयोग तब भी किया जा सकता है जब वक्ता और श्रोता एक दूसरे के सामने न हों। आसान शब्दों में कहें तो लिखित भाषा उसे कहते हैं। जब कोई भाषा हमारे पास लिखकर आती है। और हम उसे पढ़कर समझते हैं।
सांकेतिक भाषा का उपयोग करने के लिए व्यक्ति अपने हाथों, उंगलियों, इशारों या चेहरे के हाव भाव की मदद से अपनी बात समझाता है और सामने वाला इसे समझता है। इस भाषा के माध्यम से मनुष्य बिना शब्दों के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाता है।
सांकेतिक भाषा को समझने और समझाने के लिए व्यक्ति को आमने सामने होना आवश्यक है। सांकेतिक भाषा के कुछ उदहारण देखें तो जैसे ट्रैफिक पुलिस द्वारा हाथों से इशारा करके ट्रैफिक नियंत्रित करना, 1, 2, 3 इस तरह से अंगुलियों के द्वारा किसी चीज या वस्तु की संख्या या गिनती स्पष्ट करना।
सांकेतिक भाषा, भाषा का एक महत्वपूर्ण रूप है। जिसे हिंदी व्याकरण में स्थान नहीं मिला है। लेकिन हिंदी भाषा के पूर्ण ज्ञान के लिए सांकेतिक भाषा का ज्ञान होना भी आवश्यक है। प्राचीन काल में जब आदिम मनुष्य भाषा का उपयोग नहीं करते थे, तब वे एक दूसरे के विचारों और भावनाओं को समझने और समझाने के लिए संकेत/इशारों का उपयोग ही करते थे।
बोली केवल बोली जाती है, यह लिखी नहीं जाती है, और ना ही इसकी कोई लिपि और साहित्य है। बोली को भाषा का मुल रूप कहा जाता है। यह कोई सीमित स्थान में ही बोली जाती है। आसान भाषा में कहे तो, व्यक्ति एक दुसरे से बातचीत करते वक्त जीस भाषा का उपयोग करते हैं उसे ही बोली कहा जाता है।
इसे संक्षेप में कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है। जैसे भारत में हिंदी भाषी क्षेत्र बहुत बड़ा है। लेकिन क्या हिंदी भाषा के अनुसार ही पूरे क्षेत्र में हिंदी बोली जाती है? हम कह सकते हैं कि नहीं। हिंदी भाषा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग शैली/ढंग से बोली जाती है और बोलने की इस शैली को ही "बोली" कहा जाता है।
सभी बोलियों का मूल हिंदी भाषा ही है। लेकिन क्षेत्र के आधार पर कुछ शब्दों को तोड़ मरोड़ कर और एक अलग तरीके से उच्चारित करके अपनी अलग शैली विकसित की होती है। तो भाषा और बोली में यही अंतर होता हैं।
दूसरे शब्दों में कहें तो किसी ध्वनि या आवाज को देखने योग्य बनाना यानी उस ध्वनि को लिखना या छापना जीसे लिपी कहा जाता है।
आपको बता दें कि ध्वनियाँ अस्थायी होती है और जो लिपि होती है वह स्थायी होती है। हमारे मूख से ध्वनियाँ निकलती है और हवा के साथ मे उड़ जाती है क्योंकि उनका स्थायित्व नहीं होता है. उस ध्वनियों को लिपि के जरिये लिखित रुप प्रदान करके उसे सालों तक संभाल कर रखा जा सकता है।
बोली केवल बोली जाती है, यह लिखी नहीं चाहती। और ना ही इसकी कोई लिपि और साहित्य है। बोली को भाषा का मूल रूप कहा जाता है। यह कोई सीमित स्थान में ही बोली जाती है। आसान भाषा में कहें तो व्यक्ति एक दूसरे से बातचीत करते वक्त देश भाषा का उपयोग करते हैं। उसे ही बोली कहा जाता है।
अगर हम हिंदी की बात करें तो hindi bhasha की लिपि देवनागरी लिपि है। वैसे ही! अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन है। हर एक भाषा की एक अलग लिपि होती है। लेकिन हम किसी भाषा को कई लिपियों में लिख सकते हैं और एक लिपि में कई भाषाएं भी लिखी जा सकती हैं। अगर हम कुछ उदाहरण देखें तो जैसे... ☟
मेरा नाम निलेश है - यह भाषा हिंदी है और लिपि देवनागरी
Mera Naam Nilesh Hai - यह भाषा तो हिंदी है लेकिन लिखा गया है रोमन लिपि में
My name is Nilesh - यह भाषा अंग्रेजी है लेकिन लिपि रोमन है .
माय नेम इज निलेश - यह भाषा तो अंग्रेजी है, लेकिन इसे लिखा गया है देवनागरी लिपि मे।
तो इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि भाषा और लिपि मे क्या अंतर होता है और - लिपि किसे कहते हैं?
आपको बताना चाहेंगे कि यह वेबसाइट इंटरनेट से रिसर्च करके जानकारी प्रदान करती है, इस बीच यदि इस पोस्ट में कोई कमी नजर आती है और आपको लगे कि इस पोस्ट में सुधार करने की आवश्यकता है तो कृपया हमें बताइए हम उस भूल या कमी को जल्द से जल्द सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे।
और हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख भाषा किसे कहते हैं अच्छा लगा होगा तो इस बारे में आप अपने विचार हमें कमेंट के जरिए जरूर बताइएगा, आपके विचार हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। धन्यवाद!
Bhasha Kise Kahate Hain |
भाषा की परिभाषा के बारे में पढ़ें इससे पहले मैं आपको बताना चाहूंगा कि अगर आप इसी तरह के अन्य जानकारी पाना चाहते हैं तो इस वेबसाइट को फॉलो करते रहे यहां पर आपको एजुकेशन के साथ साथ इंटरनेट, टेक्नोलॉजी, टिप्स एंड ट्रिक्स, पैसे कैसे कमाए की जानकारी वगैरह इंफॉर्मेशन मिलती रहेगी। तो चलिए अब जानते हैं कि bhasha kya hai (भाषा क्या है)
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Bhasha Kya Hai - भाषा किसे कहते हैं।
meaning of language in hindi: जब व्यक्ति बोलकर, सुनकर, लिखकर या पढ़कर अपने भावों या विचारों का आदान-प्रदान करता है उसे bhasa कहते हैं। भाषा के द्वारा ही विचारों का आदान-प्रदान हो सकता है।यानी भाषा वह माध्यम है जिसके जरिए व्यक्ति अपने भावों या विचारों को दूसरों के सामने व्यक्त करता है तब उस भावों या विचारों को समझने और समजाने के माध्यम को भाषा कहा जाता है। भाषा का प्रयोग मनुष्य ही कर सकता है, अन्य प्राणी इस अमूल्य विशेषता से वंचित है।
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भाषा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना पुराना मानव का इतिहास। भाषा एक माध्यम है जिसके द्वारा हम एक दूसरे से बात कर सकते हैं और अर्थपूर्ण ध्वनियों के मेल से ही भाषा का निर्माण होता है। प्रत्येक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की भाषा भिन्न हो सकती है, पर भाषा का एकमात्र मकसद होता है कि इंसानों द्वारा एक-दूसरे के विचारों को समझना और समझाना। हालांकि! इंसान अपने भावों या विचारों को कई माध्यमों से व्यक्त कर सकता है जैसे शारीरिक या वस्तु संकेत, मौखिक ध्वनि या लिखित रूप से जैसे --- ☟
मान लीजिए , अगर आपको एक गिलास पानी की जरूरत है। तो इस भाव, विचार या इच्छा को आप कुछ इस प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं।
आप गिलास या पानी की और इशारा/संकेत कर के मांग सकते हैं।
मौखिक ध्वनि द्वारा आप कह सकते हैं कि कृपया , मुझे एक गिलास पानी चाहिए।
या आप लिख कर बता सकते हैं की कृपया , मुझे एक गिलास पानी चाहिए।
यहां पर पानी मांगने ने के पहले तरीके यानी सांकेतिक माध्यम को सर्वग्राह्य भाषा नहीं कहा जा सकता. हां, मगर दूसरे और तीसरे माध्यम को क्रमशः मौखिक और लिखित भाषा का रूप दे सकते हैं। तो अब आप bhasha ki paribhasha को समझ गए होंगे।
Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain
मुख्य रूप से भाषा के प्रकार या भाषा के भेद तिन होते हैं।- मौखिक भाषा (Oral Language)
- लिखित भाषा (Written Language)
- सांकेतिक भाषा (Sign language)
तो इन तीनों भाषाओं के बारे में विस्तृत जानकारी समझते हैं।
Maukhik Bhasha Kise Kahate Hain
जब कोई व्यक्ति अपने विचारों को दूसरों के सामने मुंह से व्यक्त करता है, तो भाषा के इस माध्यम को मौखिक भाषा कहा जाता है। मनुष्य में इस भाषा का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। मौखिक भाषा का उपयोग साक्षर और निरक्षर दोनों द्वारा किया जाता है, यानी मौखिक भाषा का यूज लगभग सभी लोग करते हैं।$ads={2}
इसमें एक व्यक्ति जो कि अपने मुंह से शब्दों से वाक्य बनाकर अपने भावों, विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाता है। इसमें एक व्यक्ति वक्ता है और दूसरा श्रोता है। सुनने वाले एक से अधिक व्यक्ति भी हो सकते हैं।
Likhit Bhasha Kise Kahate Hain
जब हम अपने विचारों को कलम के द्वारा कागज जैसे पत्र, चिट्ठी, बुक्स वगैरह लिख सकते हैं या फीर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे ईमेल, नोट, लेख, मैसेज इत्यादि तरिके से लिखकर व्यक्त करते हैं, तो इसे लिखित भाषा कहा जाता है।भाषा के इस रूप को अधिक स्थायी और सार्थक माना जाता है क्योंकि लिखित भाषा का उपयोग करने के लिए चिह्नों की जरूरत पड़ती है इसीलिए भाषा के व्याकरणिक पहलुओं की जानकारी होना बहुत जरूरी होता है, जबकि मौखिक भाषा में इतनी गहनता देख ने को नहीं मीलती।
दूसरे शब्दों में कहें तो जिन अक्षरों या चिह्नों की सहायता से हम अपने मन के विचारों को लिखकर व्यक्त करते हैं, वह 'लिखित भाषा' कहलाती है। लिखित भाषा का प्रयोग तब भी किया जा सकता है जब वक्ता और श्रोता एक दूसरे के सामने न हों। आसान शब्दों में कहें तो लिखित भाषा उसे कहते हैं। जब कोई भाषा हमारे पास लिखकर आती है। और हम उसे पढ़कर समझते हैं।
Sanketik Bhasha Kise Kahate Hain
सांकेतिक भाषा वह भाषा है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी भावनाओं या विचारों को कोई संकेत/इशारों के द्वारा व्यक्त करता है ऐसी भाषा को सांकेतिक भाषा कहा जाता है।सांकेतिक भाषा का उपयोग करने के लिए व्यक्ति अपने हाथों, उंगलियों, इशारों या चेहरे के हाव भाव की मदद से अपनी बात समझाता है और सामने वाला इसे समझता है। इस भाषा के माध्यम से मनुष्य बिना शब्दों के अपनी भावनाओं को व्यक्त कर पाता है।
सांकेतिक भाषा को समझने और समझाने के लिए व्यक्ति को आमने सामने होना आवश्यक है। सांकेतिक भाषा के कुछ उदहारण देखें तो जैसे ट्रैफिक पुलिस द्वारा हाथों से इशारा करके ट्रैफिक नियंत्रित करना, 1, 2, 3 इस तरह से अंगुलियों के द्वारा किसी चीज या वस्तु की संख्या या गिनती स्पष्ट करना।
सांकेतिक भाषा, भाषा का एक महत्वपूर्ण रूप है। जिसे हिंदी व्याकरण में स्थान नहीं मिला है। लेकिन हिंदी भाषा के पूर्ण ज्ञान के लिए सांकेतिक भाषा का ज्ञान होना भी आवश्यक है। प्राचीन काल में जब आदिम मनुष्य भाषा का उपयोग नहीं करते थे, तब वे एक दूसरे के विचारों और भावनाओं को समझने और समझाने के लिए संकेत/इशारों का उपयोग ही करते थे।
Boli Kise Kahate Hain - बोली किसे कहते हैं ?
बोली उसे कहते हैं जो किसी विशेष जगह/स्थान पर उपयोग की जाती हो जैसे हर क्षेत्र में बोली जाने वाली एक भाषा होती है उसी तरह हर जगह या स्थान पर बोली जाने वाली "बोली" भी होती है।बोली केवल बोली जाती है, यह लिखी नहीं जाती है, और ना ही इसकी कोई लिपि और साहित्य है। बोली को भाषा का मुल रूप कहा जाता है। यह कोई सीमित स्थान में ही बोली जाती है। आसान भाषा में कहे तो, व्यक्ति एक दुसरे से बातचीत करते वक्त जीस भाषा का उपयोग करते हैं उसे ही बोली कहा जाता है।
इसे संक्षेप में कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है। जैसे भारत में हिंदी भाषी क्षेत्र बहुत बड़ा है। लेकिन क्या हिंदी भाषा के अनुसार ही पूरे क्षेत्र में हिंदी बोली जाती है? हम कह सकते हैं कि नहीं। हिंदी भाषा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग शैली/ढंग से बोली जाती है और बोलने की इस शैली को ही "बोली" कहा जाता है।
सभी बोलियों का मूल हिंदी भाषा ही है। लेकिन क्षेत्र के आधार पर कुछ शब्दों को तोड़ मरोड़ कर और एक अलग तरीके से उच्चारित करके अपनी अलग शैली विकसित की होती है। तो भाषा और बोली में यही अंतर होता हैं।
Lipi Kise Kahate Hain
किसी भाषा की लिखने की शैली या भाषा के लिखने के तरीके को लिपि कहा जाता है।दूसरे शब्दों में कहें तो किसी ध्वनि या आवाज को देखने योग्य बनाना यानी उस ध्वनि को लिखना या छापना जीसे लिपी कहा जाता है।
आपको बता दें कि ध्वनियाँ अस्थायी होती है और जो लिपि होती है वह स्थायी होती है। हमारे मूख से ध्वनियाँ निकलती है और हवा के साथ मे उड़ जाती है क्योंकि उनका स्थायित्व नहीं होता है. उस ध्वनियों को लिपि के जरिये लिखित रुप प्रदान करके उसे सालों तक संभाल कर रखा जा सकता है।
बोली केवल बोली जाती है, यह लिखी नहीं चाहती। और ना ही इसकी कोई लिपि और साहित्य है। बोली को भाषा का मूल रूप कहा जाता है। यह कोई सीमित स्थान में ही बोली जाती है। आसान भाषा में कहें तो व्यक्ति एक दूसरे से बातचीत करते वक्त देश भाषा का उपयोग करते हैं। उसे ही बोली कहा जाता है।
अगर हम हिंदी की बात करें तो hindi bhasha की लिपि देवनागरी लिपि है। वैसे ही! अंग्रेजी भाषा की लिपि रोमन है। हर एक भाषा की एक अलग लिपि होती है। लेकिन हम किसी भाषा को कई लिपियों में लिख सकते हैं और एक लिपि में कई भाषाएं भी लिखी जा सकती हैं। अगर हम कुछ उदाहरण देखें तो जैसे... ☟
मेरा नाम निलेश है - यह भाषा हिंदी है और लिपि देवनागरी
Mera Naam Nilesh Hai - यह भाषा तो हिंदी है लेकिन लिखा गया है रोमन लिपि में
My name is Nilesh - यह भाषा अंग्रेजी है लेकिन लिपि रोमन है .
माय नेम इज निलेश - यह भाषा तो अंग्रेजी है, लेकिन इसे लिखा गया है देवनागरी लिपि मे।
तो इस उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि भाषा और लिपि मे क्या अंतर होता है और - लिपि किसे कहते हैं?
आपको बताना चाहेंगे कि यह वेबसाइट इंटरनेट से रिसर्च करके जानकारी प्रदान करती है, इस बीच यदि इस पोस्ट में कोई कमी नजर आती है और आपको लगे कि इस पोस्ट में सुधार करने की आवश्यकता है तो कृपया हमें बताइए हम उस भूल या कमी को जल्द से जल्द सुधारने की पूरी कोशिश करेंगे।
Conclusion
तो फ्रेंड्स! यहां पर आपको bhasha kise kahate hain इस बारे में बताया गया साथ ही bhasha ki paribhasha, प्रकार, बोली, lipi के बार में विस्तारपूर्वक संपूर्ण जानकारी बताइ गई है।और हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह लेख भाषा किसे कहते हैं अच्छा लगा होगा तो इस बारे में आप अपने विचार हमें कमेंट के जरिए जरूर बताइएगा, आपके विचार हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। धन्यवाद!